Saturday, October 13, 2012

वादियों के पीछे ही कहीं आफताब खोया है....



उदास शाम की आँख हैं नम ओस की बूँदों  से,
चलती ये सर्द हवा कितनी खामोशी से।
कितने गुमसुदा और तन्हा हैं ये दरख्त खड़े,
हैं पूछते सवाल यूँ अपनी ही गुम परछाईं से ।।
 
रात का गहराता धुआँ फिर भी चाँद सोया है,
उसको देखे बिना ये पपीहा खूब रोया है।
तलाश रातभर  जुगनुओं की फौज करे ,
वादियों के पीछे ही कहीं आफताब खोया है ।।
 
सहर होने में अभी वक्त बहुत बाकी है ।
छलके शबनमी पैमाना और रात बनी साकी है।
चाँद आये या न आये इस महफिल में,
सितारों का नूर तो है बस थोड़ा हिजाव वाकी है ।।

चाँद कब आयेगा देखकर पलकें थकी
स्याह जो रंग हुआ कि शाम की आँख झुकी ।
रात को ताने दिये थे जाते हुये उजाले ने,
पर उसके जाने से भला कब है कायनात रुकी ।।

दिखा जो चाँद तो रात का दिल हुलसा है,
चंद पल का नहीं ताउम्र  का जो मसला है।
किसी के गिरने की जो आयी है धीमी आहट,
ओस की बूदों पर चाँदनी का पैर फिसला है ।।

रात का रंग खिले जो मिलीं उजली किरन,
लाजबाब नूर चमकती चाँदी सा ये तन औ वदन।
चांद की किस्मत में हैं ये नूरी चाँदनी रातें
तो खाक क्यों दिल को करें , यूँ सितारे गगन।। 

11 comments:

  1. कुछ रातों को आते आते समय बहुत लग जाता है,
    आँख मिलाता चाँद कभी था, अब दिखते छिप जाता है।

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  2. चाँद कब आयेगा देखकर पलकें थकी
    स्याह जो रंग हुआ कि शाम की आँख झुकी
    रात को ताने दिये थे जाते हुये उजाले ने,
    पर उसके जाने से भला कब है कायनात रुकी,,

    बहुत ही उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ,,,,,,बधाई स्वीकारें ,,,,देवेन्द्र जी,

    MY RECENT POST: माँ,,,

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  3. बेहतरीन भाव सटीक लेखन

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  4. दिखा जो चाँद तो रात का दिल हुलसा है,
    चंद पल का नहीं ताउम्र का जो मसला है।
    किसी के गिरने की जो आयी है धीमी आहट,
    ओस की बूदों पर चाँदनी का पैर फिसला है ।।

    बहुत खूब लिखते हो ,अपनी उदासी शाम के सर मढ़ते हो .

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  5. तलाश रातभर जुगनुओं की फौज करे ,
    वादियों के पीछे ही कहीं आफताब खोया है ।।

    ये आँख मिचौली तो कब से चल रही है और पता नहीं कब तक चलती रहेगी. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  6. खूबसूरती से लिखे एहसास ।

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  7. वाह....
    बहुत खूबसूरत रचना...
    लाजवाब.

    सादर
    अनु

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  8. खूबसूरत भावों से सजी सुन्दर रचना |

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