Friday, July 12, 2013

ठंडे व शांत मष्तिक का कौशल व विजय- पराक्रम.....

शांत व संयत मष्तिस्क मगर हौंसला और हिम्मत जबरदस्त

रात के तकरीबन दो अथवा सवा दो बज रहे होंगे जब पत्नी जी ,जो अपनी अस्वस्थता व इसकी पीड़ा के कारण ठीक से सो भी नहीं पातीं,की कराह वह आहट से नींद खुली ।उनकी पीड़ा से मेरा भी मन व हृदय भारी व विचलित  सा हो जाता है परंतु स्वयं को अपनी जिम्मेदारी व कठिन परिस्थिति में अपना  धीरज रखने के विवेक के संग्यान से सहजता व शांति रखते उनको आश्वस्त करने व उनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करता हूँ ताकि उन्हें कुछ नींद व आराम मिले ।

इसी बीच वेस्ट इंडीज़ में चल रहे ट्राई-सीरीज क्रिकेट प्रतियोगिता  के फाइनल मैच, जो भारत व श्रीलंका के बीच चल रहा था, उसके परिणाम को जानने की उत्सुकता हुई।करीब रात ग्यारह बजे मेरे सोने जाने  के पूर्व श्री लंका की पारी 201 पर सिमट चुकी थी और तब यह पूरी तरह से आश्वस्त लग रहा था कि भारत तो यह फाइनल निश्चित ही व आसानी से  जीत लेगा ।

किंतु इस समय जब  मोबाइल फोन में मैच का लेटेस्ट स्कोर जाँच किया तो यह  चौंकाने वाला व अति निराशाजनक था ।पारी के अढ़तालीसवें ओवर में भारत का स्कोर 9 विकेट खोकर 183 पर अटक रहा था जबकि धोनी बैटिंग छोर पर संघर्ष करते मलिंगा की खतरनाक व तेज  स्लिंगर्स गेंदबाजी का सामना कर रहे थे। दूसरे नानबैटिंग छोर पर थे इशांत शर्मा ।यह हाल जानकर निराशा व झुँझलाहट दोनों साथ साथ अनुभव हुई कि इतना आसान व हाथ में आता दिखता मैच  अब भारत के हाथ से फिसल सा गया है  व अब तो इसमें  निश्चित हार दिख रही है ।

फिर भी एक शुद्ध भारतीय की तरह किसी चमत्कार की उम्मीद में मैं मोबाइल पर अपडेटेड स्कोर देखना जारी रखा।उनचासवें ओवर के शुरू में  जीत के लिए 17 रन चाहिए थे और  बैटिंग छोर पर इशांत शर्मा थे,और तब सब समाप्त प्राय ही दिख रहा था कि  कोई भी अगली गेंद इस खेल की  समाप्ति व भारत के लिए हार ला सकती है ।इस ओवर में किसी प्रकार से दो रन बन सके पर शुक्र यह कि इशांत शर्मा बालबाल बचे रह गए ।

इस प्रकार अब था बचा मात्र एक  अंतिम ओवर, जीत के लिए चाहिए था 15 रन और अब बैटिंग की बारी थी भारतीय कप्तान धोनी की।वैसे जब धोनी बैटिंग छोर  पर  हों तो कोई भी चमत्कार संभव सा लगता है परंतु फिर  भी अंतिम ओवर में जीत का यह अति कठिन समीकरण मन में भारी असमंजस उत्पन्न कर रहा था ।फिर जैसे अचानक सूर्य के प्रकाश से अँधेरा छण मात्र में ध्वस्त हो जाता है ,उसी प्रकार धोनी के तीन लगातार तेज तर्रार बाउंडरी सॉट ने सारे संशयों को  छणभर में समाप्त करते भारत को इस महत्वपूर्ण प्रतियोगिता  में खिताबी विजयश्री  दिला दी।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण व ध्यान देने की बात यह है कि ऐसी कठिन परिस्थिति व किसी  प्रतियोगिता के फाइनल जैसे महत्वपूर्ण मैच में जीतना  भारत जैसी टीम के लिए प्रायः यदि  असंभव नहीं तो अपवाद की ही बात मानी जाती रही है ,किंतु जब से धोनी ने भारतीय टीम का नेतृत्व सँभाला है तब से उन्हों ने ऐसे कई कठिन साथ ही साथ फाइनल   जैसे  महत्वपूर्ण अवसर पर सामने दिख रही निश्चित  हार के मुँह से टीम को  बाहर खींचते अपनी टीम को विजय दिलायी व भारत को गौरवान्वित किया है। उदाहरण के लिए 2007 का टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप , या 2011 का आई सी सी वर्ल्ड कप  या हाल ही में संपन्न आई सी सी चैम्पियनशिप ,प्रत्येक ही महत्वपूर्ण प्रति- योगिता जिसमें भारतीय टीम को ऐतिहासिक  विजयश्री मिली वे  एक चमत्कारिक खिलाड़ी व कप्तान सिद्ध हुए हैं ।

इसमें भी खास बात यह है कि जहाँ सामान्यतया  विपरीत परिस्थितियों  व सामने दिख रही हार  की दशा में दूसरे कप्तान या खिलाड़ी माथे पर चिंता की लकीरें लिये व परेशान व हताश हो जाते  है वहीं धोनी ऐसी परिस्थितियों में भी कतई शांत निश्चिंत व आत्मनियंत्रित रहते हैं, जब सामने दिखती हार के समक्ष अन्य अपनी टीम व खिलाड़ियों में विश्वास खोते हुये निराशा में डूबते  व बिना लड़े ही अपनी  पराजय  स्वीकार कर लेते हैंवैसे में भी धोनी अपनी टीम व अपने साथी खिलाड़ियों में अपना अटल विश्वास कायम रखते हैं व अंतिम समय तक जूझने का हौसला दिखाते हैं, शायद यही कारण है कि धोनी और उनकी टीम असंभव दिखते को भी संभव कर दिखाते हैं ।

स्मरण आता है कि विगत चैम्पियनशिप के फाइनल में जब अंतिम ओवरों में इशांत शर्मा के बॉलिंग की इंग्लैंड के बैटर्स द्वारा बुरी  तरह धुनाई हो रही थी और तब सभी दर्शकों व खेल  विशेषग्यों को उनसे बॉलिंग कराते  जारी  रखना एक मूर्खतापूर्ण व आत्मघाती कप्तानी प्रतीत हो रही थी, ऐसे में  धोनी एक योगी की तरह शांत वह आत्मविश्वासपूर्ण दिखते अपने निर्णय पर कायम व इशांत शर्मा में अपना भरोसा रख  उनसे बॉलिंग कराना जारी रखे  और नतीजतन सबकी आशंकाओं को ध्वस्त करते व अपने कप्तान के इस विश्वास पर खरे उतरते ऐन मौके पर इशांत शर्मा ने अपनी टीम को वह सफलता दिला दी जो कि अंततः टीम के लिए  जीत का कारण भी  सिद्ध हुई।

इसी तरह  सामने दिखती जीत  अथवा जीत की प्राप्ति पर प्रायः कई खिलाड़ी व कप्तान उत्साहातिरेक में भी अपना संयम खो देते हैं, जबकि धोनी अपनी  जीत  में भी समान रूप से संयत व शांत दिखते हैं ।

इस प्रकार धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम को आज की यह अविश्वसनीय  जीत दिलाकर  यह  पुनः सिद्ध व करके दिखाया है  कि जो व्यक्ति  कठिन व विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धीरज नहीं खोता, मन की शांति रख विचलित नहीं होता और स्वयं व अपनी टीम में अटल विश्वास रखता है, वह निश्चय ही इन विषम परिस्थितियों से बाहर निकलने में सदा सक्षम व सदैव  विजयी होता है।महेंद्र सिंह धोनी व भारतीय क्रिकेट टीम को शत् शत् बधाई

4 comments:

  1. महेंद्र सिंह धोनी व भारतीय क्रिकेट टीम को शत् शत् बधाई ।
    ,
    RECENT POST ....: नीयत बदल गई.

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  2. विपरीत परिस्थितियों में भी जिस तरह की जीवटता दिखाई है, वह निश्चय ही अनुकरणीय है।

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  3. धोनी की जीवटता, धैर्य अनुकरणीय है।

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  4. जीवन के हर क्षेत्र में जिसको विषम परिस्थितियों का मुकाबला करना आगया वो जीता हुआ ही है, बहुत सुंदर आलेख.

    रामराम.

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